232 दिन नजरबंद रहने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मंगलवार को रिहा हो गए। उमर अब्दुल्ला पर पीएसए के तहत लोगों को भड़काने का आरोप लगाया गया था। पुलिस द्वारा पीएएस के तहत लगाए गए यह आरोप मंगलवार को वापस ले लिए गए, इसके बाद उमर की रिहाई के ऑर्डर जारी किए गए। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 5 अगस्त को उमर को हिरासत में ले लिया गया था। उनके अलावा फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत में लिया गया था। फारूक अब्दुल्ला 13 मार्च को रिहा किए गए थे।
उमर की बहन सारा पायलट ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 (पीएसए) के तहत भाई की हिरासत को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा था कि अगर उमर को रिहा करने की योजना है, तो जल्द करें। अगर आप उन्हें अगले हफ्ते तक रिहा नहीं करेंगे तो हम उनकी बहन की याचिका पर मेरिट के आधार पर सुनवाई करेंगे।
खुश हूं कि उमर की असंवैधानिक नजरबंदी को रद्द किया गया: प्रियंका
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया- यह जानकर खुशी हुई कि उमर अब्दुल्ला की असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक नजरबंदी को रद्द कर दिया गया। अब केंद्र को जम्मू-कश्मीर के लोगों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों को बहाल करना चाहिए।
णमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया- आखिरकार उमर रिहा हुए। अब आगे के लिए तैयार हो जाएं। रास्ता अभी लंबा है। हम आपके साथ हैं।
फारूक ने कहा था- महबूबा-उमर के बिना रिहाई अधूरी
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला 13 मार्च को नजरबंदी से रिहा हुए थे। फारूक की हिरासत अवधि तीन बार बढ़ाई गई थी। रिहाई के बाद फारूक ने कहा- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बिना ये आजादी अधूरी है। अब मैं संसद में लोगों की आवाज उठाऊंगा।
बेटे से मिले थे फारूक
फारूक रिहाई के एक दिन बाद अपने बेटे उमर अब्दुल्ला से मिले थे। पिछले सात महीने में पिता और बेटे की यह पहली मुलाकात थी। दोनों करीब एक घंटे तक साथ रहे थे। फारूक के साथ अब्दुल्ला परिवार के अन्य सदस्यों की भी उमर से मुलाकात हुई। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता अभी भी नजरबंद हैं।
विपक्षी पार्टियों ने रिहा करने की मांग की थी, 4 दिन बाद फारूक रिहा हुए थे
9 मार्च को आठ विपक्षी पार्टियों ने केंद्र से मांग की थी कि जम्मू-कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को तत्काल रिहा किया जाए। विपक्षी नेताओं ने कहा कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं कि इन लोगों की गतिविधियों ने राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाला हो। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी, जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, राजद नेता मनोज झा, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने बयान जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा करने की मांग की। इसके बाद केंद्र ने 13 मार्च को फारूक अब्दुल्ला को रिहा कर दिया था।